ब्लॉग के बारे में

कुछ शब्दों के बहाने,
चले हैं हम भी अपना हाल-ऐ-दिल सुनाने।
अब बस इतनी सी है ख्वाहिश-
हम रहे या न रहे,
इन फिजाओं में ये शब्द यूँ ही गुंजित रहे।


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