कुछ शब्दों के बहाने,
चले हैं हम भी अपना हाल-ऐ-दिल सुनाने।
अब बस इतनी सी है ख्वाहिश-
हम रहे या न रहे,
इन फिजाओं में ये शब्द यूँ ही गुंजित रहे।
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साहिल से कुछ ही दूर जो फिसल गया ...
3 दिन पहले
कुछ शब्दों के बहाने, चले हैं हम भी अपना हाल-ऐ-दिल सुनाने। अब बस इतनी सी है ख्वाहिश- हम रहे या न रहे, ये शब्द यूँ ही गुंजित रहे - रोहित.....