हर ओर लूटा हुआ इंसान नजर आता है,
जहाँ देखो हैवानियत का मंजर नजर आता है।
जिन्होंने है इंसानियत की कब्रे खोदी,
उन्हीं के साथ हमारा खुदा नजर आता है ।
देश हो चाहे कोई -भारत या पाकिस्तान ,
अपने ही बच्चों के खून से सना नजर आता है।
हैवानियत का कैसा नंगा नाच है यह ,
देख,रूह डरा सहमा-सा नजर आता है।
#१६.१२.२०१४ /रोहित
#पेशावर : हे ईश्वर उन बच्चों की रूह को शांति देना जिनका बस इतना सा गुनाह है कि वो आदम की औलादे थी और इंसानियत की एकमात्र बच रही आखिरी प्रतीक ।
आतंक का कोई मजहब या देश नही होता!इसकी जितनी निंदा की जाये कम है ।