सोमवार, 24 मार्च 2014

शेष !!!

चित्र:गूगल से साभार 

लाख चाहता हूँ ,
शब्दो से तुम्हे, 
पूरा का पूरा,
समेट लूँ। 


वही नैन-नक्श ,
प्यारी सी मुस्कान ,
शब्द भी  चुन लूँ ऐसे,
जो बया कर जाय तेरा ही अक्स। 


तुम्हारी मासूमियत ,
तुम्हारा बावलापन ,
लाख चाहूँ कुछ लिख जाऊँ  ऐसा ,
कि हो सके तुम्हारी इबादत। 


जितना भी चाहूँ तुम्हे शब्दों में समेटना,
ऐसा ही कहाँ हो पाता है,
थोड़ा नहीं ,
बहुत कुछ शेष रह जाता है।


आज बस इतना ही.................... 
#रोहित /२४. ०३. २०१४ 

1 टिप्पणियाँ:

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कोमल भाव लिए रचना...
http://mauryareena.blogspot.in/
:-)

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